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पंख नहीं है पर हौसले से भर रहा है ये शख्स उड़ान, दुनिया पर छाया है इसका जादू

मन की बात
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किसी ने सही कहा है कि ‘मंजिलें उन्ही को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है। सिर्फ पंखों से कुछ नहीं होता, दोस्तों हौसलों से उड़ान होती है।।‘ ये शेर शायद आपने सैकड़ो बार सुना होगा और इसका मतलब भी आप अच्छे से जानते होंगे. लेकिन ये शेर फिट होता है एक ऐसे इंसान पर जिसके शायद हौसलों ने आज उसे दुनिया भर में बुलंदी पर पहुंचा दिया. उस इंसान के पास न तो हाथ है न ही पैर. न वो हमारी तरह साधारण इंसान है. लेकिन उसके फौलादी इरादों ने उसे किसी साधारण इंसान से अद्भुत बना दिया है. उसने जीवन की बाधाओं का ड़टकर सामना किया बिना हार माने और इसमें उसका साथ दिया उसके मां-बाप ने जिन्होने अपने बच्चे को बिल्कुल साधारण बच्चों जैसा ही पाला-पोसा और बढ़ा किया. वहीं बच्चा आज दुनिया में लोगों को प्रेरणात्मक भाषण देकर उनमें positive energy भर रहा है. वो इंसान कोई और नहीं आस्ट्रेलिया के मेलबर्न में रहने वाले 34 साल के ‘निक वुजिसिक’ है.

बिना हाथ-पैर वाला इंसान

निक के जीवन के संघर्ष को देखकर हमें सीख मिलती है कि जीवन में कभी किसी कमी को लेकर हताश नहीं होना चाहिए. बस अपनी काबिलियत को पहचानिये और उसके ही दम पर जीत लीजिये दुनिया रच दीजिये इतिहास. जिंदगी की मुश्किलों और बाधाओं को लेकर परेशान नहीं होना चाहिए, न ही जिंदगी में कभी हार माननी चाहिए. जिंदगी को हमेशा खुशी के साथ जीना चाहिए.

निक का जीवन

निक का पूरा नाम निक जेम्स वुजिसिक (Nick James Vujicis) है और इनका जन्म 1982 में ऑस्ट्रेलिया में हुआ था. जन्म होते ही सब चौंक गए थे क्योंकि निक का जन्म आम बच्चों जैसा नहीं हुआ था. निक का जन्म बिना हाथ और पैरों के ही हुआ था. जब निक का जन्म हुआ. तब उसके मां ने उसे देखने से और अपने पास लाने से साफ मना कर दिया था. यहाँ तक कि उनकी माँ ने निक को 4 महीने तक गोद में नही लिया था. धीरे-धीरे उनके माता-पिता को समझ आया कि ये बच्चा उनके लिये भगवान की देन है और उन्हें ये ख़ुशी से स्वीकार करना चाहिये. उसके बाद निक को मां-बाप का प्यार नसीब हुआ.

फोकोमेलिया (Phocomelia) नामक दुर्लभ बीमारी

निक को जन्मजात फोकोमेलिया (Phocomelia) नामक दुर्लभ बीमारी थी. जिसके कारण उनके जन्म से ही दोनों हाथ और पैर नहीं थे। पैर की जगह उनके कूल्हे पर सिर्फ एक छोटा सा पंजा था.
बिना हाथ और पैरो के जन्मे बच्चे का क्या भविष्य होगा ये सोचकर निक के माता पिता सदैव परेशान रहते थे. निक के लिये उनका बचपन बड़ा ही मुश्किलों भरा भी था. रोजाना के जरूरी काम, खेलना कूदना, पढ़ाई लिखाई आदि उनके लिये बहुत मुश्किल भरे काम होते थे. स्कूल में बच्चे उनका मजाक उड़ाते थे. उनकी हंसी उड़ाते थे.

जीवन से हताश

निक हमेशा भगवान से प्राथर्ना करते थे की कहीं से उन्हें हाथ पैर मिल जाए और वह भी दूसरे बच्चो के जैसे खेल – कूद सके. पर समय बितता गया और धीरे धीरे निक अवसाद और निराशा के अंधेरे में डूबते चले गये. एक दिन उन्हे अपना जीवन निराधार लगने लगा सारी आशाओं की डोर टूटती हुई लगी. उन्होने एक दिन डिप्रेशन में आकर बाथटब में डूबकर मरने की कोशिश की लेकिन किस्मत से बच गये.

मां के लेख ने बदल दी जिंदगी

अपने अकेलेपन विकलागंता के चलते उनको अपनी जिंदगी केवल बोझिल लगती थी लेकिन एक दिन उन्होने अपनी मां द्वारा लिखे हुए लेख को पढ़ा, जो की अख़बार में प्रकाशित हुआ था. अपनी माँ के लिखे उस लेख को पढ़कर उनके जीने का नजरिया बदल गया. सिर्फ एक लेख ने उनके पूरे जीवन को बदलकर रख दिया, जिसमें लिखा था कि किसी विकलांग व्यक्ति की अपनी विकलांगता से जंग और जीत की कहानी जिसे पढ़कर निक को समझ आया कि वे ही अकेले इंसान नहीं है, जो विकलागंता से लड़ रहे हैं, दुनिया में कई ऐसे हैं जो इससे जूझ रहे हैं. और निक का जिंदगी के प्रति नजरिया बदल गया.

निक के दो अविकसित पैर थे और एक पैर में दो उंगलिया भी थी पर वे आपस में चिपकी हुई थी. डॉक्टरों ने आपरेशन करके दोनों उंगलिया अलग कर दी ताकि निक उसकी सहायता से कुछ पकड़ सके , लिख सके. उन दो उंगलियो की मदद से 6 साल की उम्र से ही वे टाइप करना सिख गये. अपने छोटे से पंजे की मदद से ही उन्होंने फुटबॉल और गोल्फ खेलना सीखा, तैरना सीखा. अपने इसी पंजे की मदद से वह अपने शरीर का बैलेंस बनाते, किक मारते, लिखते हैं और कंप्यूटर पर एक मिनट में 43 शब्द की स्पीड से टाइप भी करते हैं. इसी पंजे की मदद से वह ड्रम बजा लेते हैं, fishing कर लेते हैं, पेंटिंग कर लेते हैं, skydiving कर लेते हैं और यहाँ तक कि वे कार भी चला लेते हैं. एक तरह से निक ने जिंदगी को चैलेंज किया और अपनी पढाई शुरू रखी. साथ ही 21 साल की उम्र में ग्राफिटी यूनिवर्सिटी से Accounting & Finance में स्नातक की पढ़ाई पूरी की. कर लिया.

Motivational Speaker

इसके बाद निक ने सोचा कि भगवान ने उन्हे लोगों को मोटीवेट करने के लिये जन्मा है. वे दूसरों के जीवन के अंधेरे को दूर कर सकते है,अपने Positive Attitude से. इस पर उन्होने काम करना शुरू किया और लोगों के साथ अपनी कहानी को शेयर किया. उसके बाद उन्होंने स्कूलो, कालेजो और संस्थानों में जाकर लोगों को मोटीवेशनल स्पीच देनी शुरू की. मात्र 17 साल की उम्र में उन्होंने preyer groups में जाकर लेक्चर दिया. 19 साल की उम्र से वे एक full time Motivational Speaker बन गये. आज ये हाल है कि निक अब तक 44 देशों में 40000 से ज्यादा Motivational Speech दे चुके हैं. उनके speech सुनने के लिये seminar hall खचाखच भरे रहते है.

किताबों से भी करते है मोटीवेट

साल 2005 में निक ने एक NGO खोल दी Life without Limb नाम से और 2007 में Attitude is Altitude नाम से Motivational Speaking कंपनी खोली, जो की लाखो लोगों को प्रेरणा और मोटिवेशन देती है. उन्होंने एक शार्ट फिल्म The Butterfly Circus भी बनाई जिसके लिए उन्हें Best Actor के अवार्ड से नवाजा गया. निक आज लाखों लोगों को motivate करते हैं और वह एक बहुत अच्छे motivational speaker भी हैं. ज़िन्दगी कैसे जी जाए यह बताते और सिखाते है. साथ ही साथ वह एक अच्छे लेखक भी है उनकी पहली किताब थी Book Life Without Limits एक बहुत ही प्रेरणादायक किताब है, जिसे 30 से अधिक भाषाओं में ट्रांसलेट किया जा चुका है.

वैवाहिक जीवन

विकलागंता के बावजूद भी निक खुशहाल शादीशुदा जिंदगी जी रहे है. और पूरी तरह से स्वस्थ हैं. उन्होंने 2012 में कायने मियाहारा से शादी की. उनके कियोशी जेम्स तथा डेजन लेवी नाम के दो खबसूरत बच्चें हैं, जो पूरी तरह स्वस्थ हैं. निक और उनकी पत्नी अपनी शादीशुदा जिन्दगी से पूरी तरह सन्तुष्ट हैं और अपनी जिंदगी बेहद खूबसूरती से जी रहे है.

अवार्डस से नवाजा गया

निक को अपने मोटीवेशनल काम के लिए कई अवार्ड्स से नवाजा गया है. साल 1990 में उन्हे Australian Young Citizen Award दिया गया. फिर 2005 में Young Australian से सम्मानित किया गया. और साल 2008 में Well Done Award , Kingdom Assignment Organization की तरफ से दिया गया.

हिमांशु वासुदेव का एक शेर याद आता हैं सोच को बदलो, सितारे बदल जायेंगे, नज़र को बदलो, तो नज़ारे बदल जायेंगे। मंजिलें पाना हो तो कश्तियाँ मत बदलना, दिशा को बदलोगे तो किनारे बदल जायेंगे।। विकलागंता कोई अभिशाप नहीं है, हर व्यक्ति परफेक्ट नहीं होता उसमें कोई न कोई कमी जरुर होती है. लेकिन अगर वह उन कमियों को दूर कर लेता है तो कामयाबी उसके कदम चूमती है, जैसा कि निक जेम्स वुसिजिक के साथ हुआ. आज वो बुलंदियां छू रहे है.

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