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मुहल्ले के लौंडो का प्यार अक्सर…..टू बी कॉन्टीन्यूड

मन की बात
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( कथा के सारे पात्र काल्पनिक है , अगर इनका किसी से कोई सबंध पाया जाता है तो हमे घन्टा कोई फर्क नही पड़ता )

हम हैदराबाद क्या गये रज्जन भाइया के प्यार का रायता ऐसा फैला की हम भी उसे समेट न पाये। आप सोच रहे होंगे आखिर ये रज्जन है कौन? चलिये आपको बता ही देते है रज्जन भइया का तनिक इंट्रो ये हमारे मुहल्ले के बजरंगदल के मुखिया है, हमने आगे विस्तार से दे दिया है। लेकिन इनके प्यार को भी डाक्टर और इंजीनियर उठाके ले गये। ये जानने के लिये हम आपको फ्लैश बैक में लेचलते है जहां से शुरू हुई इनकी आशिकी की कहानी।

8 जून 2016 शाम 7 बज कर 20 मिनट पर कानपुर के मोहल्ला शिवाले की सरहद से लगे बंगाली मोहाल पार्क वाली गली में मास्टर राजीव दीक्षित के घर में चिक चिक मची थी। बवाल ये रहा की दीक्षित महराज शिवाले की सब्जी मंडी से 20 रुपिया के सवा किलो दशहरी आम लाये थे। और दीक्षिताइन मामी आम की पन्नी आंगन में रख कर भीतर कौनो काम से गयी और इधर एक काले मुंह वाला जबर बंदर पन्नी सहित आम को ले उड़ा। छत पर पंतग को कन्ना दे रहे दीक्षित महराज के लड़के रज्जन ने आम ले जाते बंदर को देख चिल्लाने की सोची पर एक तो पनकी वाले बजरंगबली के प्रति भक्ति और दूसरे मुंह में भरे केसर की शक्ति ने रज्जन की आवाज को गर्दन में रोक दिया।

अब लगे हाथ रज्जन के बारे में भी जान लो : 25 साल के रज्जन , दीक्षित महराज की पहली आखरी और एक मात्र संतान है , और पिछले 2 साल से एक रजिस्टर ले कर BND में बी.काम की पढाई कर रहे है। हर मंगल और शनीचर को पनकी वाले दरबार में माथा टेकने के साथ साथ “ बजंरग दल “ के सक्रिय कार्यकता और मोहल्ला प्रमुख बन कर हिन्दू समाज और सभ्यता को बचाने की जिम्मेदारी अपने दंड बैठक करके दमदार बनाये गए कन्धो पर लिए है। हर बुढवा मंगल , नवरात्र , होली , दिवाली पर बैनर पर अपनी फोटो लगवा कर पूरे मुहल्ले भर में अपने बैनर और पोस्टर लगवाना इनकी सालाना उपलब्धी है। 1 जनवरी और 14 फरवरी को अपने दल के साथ “ मोती झील “ और “ गंगा बैराज “ में विदेशी सभ्यता से प्रेरित प्रेम मग्न जोड़ो को मुर्गा बनवा कर उन्हें सनातन सभ्यता की जानकारी से अवगत करवाना रज्जन दीक्षित का “ एनुअल फंक्शन “ है।

“ बंदर से आम तो बचा न सके , और चले है देश में हिन्दू और हिन्दुत्व बचाने , घुइया बचेगा हिन्दुत्व “ 20 रुपय के आम बंदर के उठा ले जाने से दीक्षित महराज भयंकर भन्नाए थे और रज्जन के नीचे उतरते ही दीक्षित महराज ने उसको पेल दिया।

रज्जन ने पहले तो मौका देख कर केसर की पिक को पीछे वाली नाली में मारी और फिर बाप की और देखते हुए बोले “ तो का करे , बंदर के पीछे हमहु बंदर बन जाये का ? “

इस से पहले कि बात और बिगड़े रज्जन ने अपनी TVS विक्टर में किक मारी और सीधे मालरोड चौराहे पर बनारसी चाट भंडार के बगल वाली गुंमटी पर बड़ी गोल्डफ्लैक सिगरेट छोटी पेप्सी के साथ धौकने लगे। तभी उनको अपने बगल में “उईईईईई “ चीख सुनाई दी। घूम कर देखा तो हरे टॉप( जिसमे अंग्रेजी में न जाने कितना ज्ञान छपा था ) और काली जींस पहने एक थोडा गोरी सी ब्वाय कट वाली एक सुन्दरी “ बनारसी के स्वादिष्ट बताशे “ का बतासा मुंह में जाने के बाद दोनों हाथ नचाते हुए पानी की मांग कर रही थी पर ज्यादा कडू लगने की वजह से उसके मुंह से सिर्फ “उईईईईई “ निकल रहा था। रज्जन भाई पहली ही नजर में उईईई की वजहे समझ गए। पहली वजह भांग के नशे के वजह से आज फिर से बनारसी के लौंडे (पप्पू) ने बतासे के पानी में ज्यदा मिर्च झोक दिहिस है , दूसरी पप्पू पीने का पानी ही नही लावा है और तीसरी बात लड़की कानपुर से बाहर की है।

रज्जन भइया जल्दी से एक शुध्द पानी का पाउच लिए और आगे बढ़ कर कन्या के हाथ में धर दिया। कन्या ने एक ही साँस में पानी गटकने के बाद सुकून भरी नजर से रज्जन दीक्षित की तरफ देखा और जेब से 2 रुपिया का सिक्का निकाल कर दीक्षित महाराज जी के लौंडे की तरफ बढ़ा दिया। पहले तो रज्जन बाबू को माजरा समझ नही आया और जब समझे की कन्या ने पानी के पैसे दिए है कसम अन्देश्वर की … में आग लग गयी। मतलब पूरी बेइज्जती.. खराब कर दी 2 रुपिया दे कर . “ ई का मतलब ! पानी वाला समझा है क्या ? बजरंग दल के मोहल्ला प्रमुख है , वो तो देखा की पानी-पानी चिल्ला रही हो तो पानी पिलाये ! और तुम ई 2 रुपिया दे कर हमारी मजा ले रही हो …? “ रज्जन भइया लड़की पर गरज पड़े।

“ Oh ! So sorry young men . I do not want to heart you. Because I am new in this city. Well ! thank you so much . “

ये वार्तालाप सुन कर दीक्षितजी के लौंडे को लगा जैसे किसी ने उस पर बजरंगबाण चला दिया हो .sorry और thank you तो दिमाग में अंदर तक घुस गए और बाकी की अंग्रेजी को समझने के लिए बिरहाना रोड के “ हम अंग्रेजी ,तोते की तरह बुलवाते हैं केवल 15 दिन में “ वाली कोचिंग को ज्वाइन करने का फैसला रज्जन ने तुरंत कर लिया। कन्या अंग्रेजी में “thank you “ बोल कर चली गयी और पंडित जी का लौंड़ा उससे जी लगा बैठा।

रज्जन भइया के खुफिया हरामी दोस्तो ने आखिर पता लगा ही लिया कि कन्या का नाम ज्योति गुप्ता है , रहीने वाली मेरठ की है और कंपनीबाग में
“ पहलवान जूस वाली गली “ में मामा के यंहा रह कर क्राइस्च चर्च से कौनो कोर्स कर रही है।
9 दिनों की अथक मेहनत और “ पहलवान जूस वाली गली “ के अनगिनत चक्कर लगाने के बाद रज्जन महराज और ज्योति के दूरभाष नम्बरों का आदान प्रदान सम्भव हुआ.

और गुरु ! यही से रायता फैलना शुरू हो गया। पनकी वाले दरबार के भक्त का फोकस बरसाना के बांके बिहारी की तरफ हो गया। रात-रात भर छत का कोना पकड़े बातें होती थीं. जिओ के सिम और सैमसंग गुरु के मोबाइल के भरोसे गाड़ी आगे बढ़ गई थी. रात भर पावर कट में पसीना चुआते, मच्छर कटाते, सपा को गरियाते दोनों एक दूसरे से बतियाते रहते और रात का पता भी न चलता. बस इतना पता लगता कि कब बत्ती आ गई. बत्ती आने पर नीचे चल के कूलर चला के बातें होतीं.

और यही मजाक-मजाक में एक महिना निकल गया , ज्योति के मामा खुद ही यूनिवर्सिटी में बाबू थे ( बेबी बच्चा वाला बाबू नही , सच्ची वाले बाबू ) कन्या को खुद ही सुबह और शाम साथ में लाते ले जाते थे . मिलने की इच्छा दोनों दिलो में राजधानी की गति से दौड़ रही थी लेकिन कौनो जुगाड़ नही लग रहा था .

शनिवार का दिन था , रज्जन भइया बजरंगदल की शहर समीक्षा कार्यशाला में सामिल होने के लिए मंधना में थे , मोहल्लावार समीक्षा चल रही थी . तभी उनके सैमसंग गुरु में sms की घंटी बजी . ज्योति का संदेश था वो “ हम 20 मिनट में रेव मोती पहुंच रहे है , मिलना हो तो आ जाओ . फिर हम कल 1 महीने के लिए घर जा रहे है , फिर न मिल पायेगे . “ दीक्षित महराज का दिल टूटी सडक में टैम्पो की तरह उछलने लगा . मगर समस्या ये ही की अभी समीक्षा शुरू भी नहीं हुयी थी। बिना समीक्षा कराए जाने से मोहल्ला प्रमुख के पद खोने का डर था रज्जन ने पहली बार बजंरगदल को मन भर कर गरियाया . और फिर महबूबा से मिलने जाने के लिए अगर जुगाड़ करना हो तो लौंडो का दिमाग चाचा चौधरी से भी ज्यादा तेज़ चलने लगता है . रज्जन सीधे समीक्षक भोला सिंह चौहान ( जो समीक्षा के साथ साथ खस्ते धौंकने में लगे थे ) के सामने जा कर खड़े हो गया और दर्द भरे स्वर में “चौहान जी ! हम बंगाली मोहाल के मोहल्ला प्रमुख है , अभी यंहा आते समय गुमटी में 3 खस्ते खा लिए थे , तब से पेट में बहुत मरोड़ उठ रही है लगता है हल्का होना पड़ेगा , और यंहा के शौचालय में पानी नही आ रहा है और हमने सफेद पैजामा भी पहना है , “ रज्जन ने 2 पल की सांस ली और फिर धीमे से नाक में ऊँगली घुमाते हुए बोला “ आज कल गर्मी के सीजन में खस्ते में सड़ी आलू भी पेल देते है … हमे निकलना होगा समीक्षा हम आपको भिजवा देगे . “
भोला सिंह चौहान के मुंह में भरा खस्ता अब ये कथा सुनने के बाद अंदर जाने को तैयार नही था और बाहर उसे कर नही सकते थे उनका मन एकदम भिन्ना गया था उन्हें लगा अगर रज्जन एक पल उनके सामने रुका तो … कंही उनका कुरता पैजामा न खराब हो जाये . और उन्होंने जल्दी से हाँथ उठा कर उसे जाने का संकेत किया .

बहार निकाल कर देखा तो मोटर साईकिल पंचर थी , दिमाग बिल्कुल झंड हो गया . खैर किसी तरह से पांडे से २०० का पैट्रोल डलवाने का वादा करके उनकी बुलेट ली ( हाँ , जिसमे आगे प्रेस लिखा है ) एक्सीलेटर ताने हुर्र- हुर्र करता बाइक लेकर दौड़ पड़ा. लौंडा तभी एक्सेलेरेटर हौंकता है, जब नई नई गाडी चलानी सीखी हो , या नया-नया इश्क़ में पड़ा हो, और यहां तो दोनों बातें लागू हो रहीं थी. और मंधना से रावतपुर की 45 मिनट की दूरी 19 मिनट में पूरी कर डाली . पर गाड़ी रेव मोती के ठीक सामने वाली क्रासिंग की बंद होने की वजह से फंस गयी और बूलेट होने की वजह से क्रासिंग से नीचे से निकलने की भी संभवना नही थी . पवन ने एक बार फिर पांडे को बुलेट लेने , क्रसिंग न हटवाने की वजह से कानपुर के सांसद से लेकर रेलमंत्री और प्रधानमन्त्री को जी भर कर गरियाया .

खैर अगले 13 मिनट बाद लड़का कन्या के सामने था . काली जींस , लाल टॉप पहने कन्या बिग बाजार में हेयर क्लिप मुंह में दबाए कॉस्मेटिक की शॉप पर दोनों हाथों से नई हेयर क्लिप ट्राई कर रहीं थीं. एक तो लौंडा वैसे ही मदहोशी में डूबा था. उनको इस मायावी रूप में देखकर रहा सहा होश भी गंवा बैठा. वहीं बुत बन गया. मैडम का चेहरा खिल उठा.
और कुछ समझ न आने पर रज्जन बोले “ तुम पर ये हेयरक्लिप बहुत अच्छी लगेगी “
“ पता है. इसीलिए लगाई है. वैसे सुंदर तो हम मिनीस्कर्ट में भी लगते हैं.” ज्योति ने मुस्कुराते हुए बोला . और दोनों फ़ूड कोर्ट की ओर बढे

खैर इसी तरह दोनों में हौक के प्रेम हो गया , 2 बार हीर पैलेस में फिल्म भी देखी . और दुबारा में ज्योति के साथ बनारसी की चाट हउकी। इस बीच रज्जन बाबू का रहन सहन ,पहनावा पूरी तरह से भारतीय सभ्यता से पश्चिम सभ्यता का हो गया था।
खैर साल बीत गया ज्योति ने यूनिवर्सिटी से डिग्री प्राप्त कर और रज्जन को बांके बिहारी की कसम दे कर की वो उसी से ब्याह करेगा अपने शहर मेरठ निकल ली .

ब्राम्हणों के घर में एक बनिया के घर की लड़की बहुरिया बन कर आएगी ये सुन कर दीक्षित जी के यंहा कांड हो गया . दीक्षित महराज ने अपने लौंडे देव दीक्षित (रज्जन) को जी भर के जुतियाने के बाद अपनी सम्पती से लात मार के भगा देने का ऐलान किया . और दीक्षिताइन मामी दुनियां को का मुंह दिखायेगी के सदमे के मारे खाना पीना छोड़ कर कोप भवन में चली गयी .

275 गज का मकान ,बाप का PF और महतारी के आंसू रज्जन के प्रेम पर भारी पड़े . पर गुरु लौंडा पूरी तरफ से बदल गया . पंडित जी के लौंडे ने जीवन भर ब्रह्मचारी रहने का फैसला किया .

29 अप्रैल 2017 शनिवार का दिन था । पढाई और नेतागीरी छोड़ कर टाटमील चौराहे पर क्लीन सेव चेहरे की जगह घनी दाढ़ी और मूंछो ने ले लिया था . संकरी मोहरी की जींस ओर टी-शर्ट भगवा चोले में तब्दील हो गयी थी। और कुछ यूपी में योगी सरकार के बाद लौंडो ने भगवा गमछा ओढना भी भोकाल मान लिया है। तभी पनकी मंदिर से आ कर रज्जन भइया अपने दोस्त की किराना दुकान में बइठ गये उससे बतइयाने। बलिया डिपो की बस चौराहे पर रुकी कई सवारियों के साथ नीली साड़ी में एक मोहतरमा काँधे पर बैग लटकाए अपने इंजीनियर पति के साथ उतरी . और सीधे “ किराना शॉप “ पर रुकी। महिला ने अपनी मधुर सुरीली आवाज में कहा “ भईया ! जरा 2 पेप्सी निकाल दो अगर ठंडी हो “

आवाज कानो में पढ़ते ही रज्जन महराज को ऐसे झटका लगा जैसे केस्को वालो के ट्रांसफार्मर में ( दुर्भाग्य से जिस समय बिजली भी आ रही हो तब ) हाँथ डाल दिया हो . पलट कर देखे तो सामने ज्योति खड़ी थी मांग में हल्का सा लाल रंग का सेंदूर और ऊँगली पकडे अपने चंदुए पति का।

रज्जन को लगा जैसे वो कोइ सपना देख रहा है लेकिन जैसे ही उसके दोस्त ने आवाज लगायी रज्जन जरा दो पेप्सी ले आना 12वाली लगा उसकी नींद टूट गयी और उसके लब हिले “ज्योति तुम ! हमको नही पहिचाना ? हम रज्जन ! “

ज्योति जैसे जम कर रह गयी . लेकिन पति को सामने देख दोनों का मौन बोल रहा था . जब कहने को बहुत कुछ होता है तो शब्द साथ कंहा दे पाते है ?
ज्योति के पति ने मौन तोड़ा और कहा भइया कितने रुपये हुए। 10-10 के 3 नोट रज्जन की तरफ बढाते हुए ज्योति बोली “ हम नही जानते कौनो रज्जन को “ और पति को ले कर बाहर निकाल गयी .

रज्जन बौराए से मुंह खोले खड़े थे तभी ज्योति पलट कर अंदर आई और बोली “भईया ! ब्याह कर लो . ऐसे अच्छे नही लगते हो . हम तुमका भूल गये है और अब तुम भी हमका भूल जाओ। राजंना पिक्चर देखे हो ना उसका ये डॉयलाग याद रखियो हमेशा कि मुहल्ले के लौंडो का प्यार अक्सर डाक्टर औऱ इंजीनियर उठाके ले जाते है।“

—दीक्षा मिश्रा

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