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मुझे ब्लाग लिखे काफी दिन हो गये, लेकिन आज सोचा कि आज मदर्स डे है। लोगों ने सुबह से सोशल नेटवर्किंग साइट पर मां को इतना प्रमोट किया कि शायद अब अनपढ़ को भी पता चल गया होगा कि आज मदर्स डे है। आज जब व्हाटसएप पर DP देखी तो देखा सभी ने अपनी मां की फोटो लगा रखी थी विथ स्टेटस के साथ। लगा शायद आज से पहले कभी मदर्स डे मनाया ही न गया हो।
लेकिन चलो कम से कम एक ही दिन सही लोगों को अपनी मां की याद तो आई कम से कम। लोगों ने मां के साथ सेल्फी तो खिंचवाई नहीं तो कहां मां को लोग अपनी सेल्फी वाले ग्रुप में शामिल करते है।
लेकिन मेरी लिये आज का दिन काफी स्पेशल रहा।मेरी मां जिसे कभी मैं सोचती थी कि मम्मी का काम ही होता है घर को संभालना और वो इनकी जिम्मेदारी है। लेकिन आज मैनें इससे थोड़ा ऊपर उठकर सोचा। और एक दिन मां की तरह काम करने की सोची। अरें मेरा तो कचूमड़ निकल गया।कैसे रोबोट जैसा काम करती है मां सबकी जरूरतों का ध्यान रखती है मां।
मां की तरह सुबह जल्दी जाग तो गयी लेकिन उनकी तरह शरीर में स्फूर्ति न ला सकी। उनकी तरह लोगों की छोटी छोटी जरूरतों को पूरा न कर सकी। तब समझ आया कि दीक्षा जी जितना आसान ये काम दिखता है उतना आसान है नहीं।
चार लाइनें मां के लिये…..
मेरी बिना छुट्टी वाली मां
काम को सिद्दत से करने वाली मेरी मां
हर काम में परफेक्ट मेरी मां
अपने गमों को बखूबी छुपाने वाली मेरी मां
अपने कंधों पर घर का बोझ ढोने वाली मेरी मां
मेरी बिना छुट्टी वाली मां।।।।
इसलिये दुनिया की हर मां को मेरी तरफ से शत शत नमन हैप्पी मंदर्स डे ………………..
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